भोजीपुरा के पास के गांव की हमशीरन की बकरी ब्लॉक के सरकारी अस्पताल पर डॉक्टर की राह जोहते जोहते मर गई....किसको क्या फर्क पड़ता है
इंसानो की जान की कुछ कीमत होती है, अरे भाई बहुत होती है पर जानवरों की जान.....बरेली ही नहीं लगभग सारे प्रदेश में वेटनरी डॉक्टर्स की चुनावों में ड्यूटी लगा दी गई।
भाई रईस लोगों के कुत्ते और "माननीय" लोगों की गाय को तो इलाज़ मिल जायेगा ,जज साहब की भैंस को भी सेवा मिल जायेगी पर हमशीरन की बकरी तो बिना इलाज़ के मर जायेगी। एक बकरी ही तो थी ....मर गई तो कौन सी क़यामत आ गई।
ब्लॉक से 5 किलोमीटर की दूरी के गांव जटओंपट्टी से फूल सिंह अपनी भैंस को गर्भित कराने आज ब्लॉक के हॉस्पिटल आये थे ,रस्ते भर सोचते हुए क़ि बार बार धोका दे रही है,इस बार डॉक्टर साहब के हाथों से ही रूकेगी......तीन घंटे बैठने के बाद हिम्मत जवाब दे गई जब कम्पाउण्डर ने बताया कि साहब तो जादोंपुर में वाहनों की तलाशी करवा रहे हैं,शायद न आ पाएं। फूल सिंह अपनी भैंस को ढेर सारी निराशा के साथ लेके वापस लौट रहे है। वो समझ नहीं पा रहे हैं , जानवरों का तो AIIMS भी ब्लॉक का हॉस्पिटल ही होता है ,फिर डॉक्टर साहब काहे चुनाव के चक्कर में पड़े है।
जय हो इस सिस्टम की और इसके निर्माताओं की,जो सिर्फ गरीब के लिए बना है.....गरीब की मदद के लिए।